घड़ी टिक् टिक् समय बजाती है समय बेआवाज नहीं बीतता एक घड़ी रुकी कि दूजे के दिल में धड़कता है
समय हौले-हौले पाँव बढ़ाता है
हिंदी समय में बसंत त्रिपाठी की रचनाएँ